बुधवार, 27 जुलाई 2011

तथागत तुलसी का तेज दिमाग प्रोग्रामिंग का नतीजा है



[ Posted On Fri 23 Jul 10, 8 : 45 AM]
मुंबई, 12 साल में एमएससी, 21 साल में पीचएडी और 22 साल में प्रोफेसरी करने वाले तथागत अवतार तुलसी के बारे में कहना है कि उनका तेज दिमाग ‘प्रोग्रामिंग’ की देन है। ऐसा उनके पिता प्रोफेसर तुलसी नारायण का दावा है। वह यहां तक कहते हैं कि कोई भी इस तरह की ‘प्रोग्रामिंग’ कर जीनियस दिमाग वाला बच्‍चा पा सकता है। तथागत अवतार तुलसी के माता-पिता के चेहरे पर तब मुस्कान बिखर गई थी जब उनके बेटे को 2003 में दुनिया सात सबसे प्रतिभाशाली युवाओं में शामिल किया गया था। हालांकि तुलसी के माता-पिता ने उसके जन्म से पहले ही यह तय कर लिया था कि तुलसी जीनियस होगा।
अगर तथागत के परिजनों के दावों में दम है तो आज के ज़माने में तुलसी को प्रोग्राम्ड चाइल्ड कहा जाएगा। मूल रूप से बिहार के रहने वाले तथागत अवतार तुलसी के पिता प्रोफेसर तुलसी नारायण प्रसाद सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। और वे ज्योतिषीय-अनुवांशिकी (एस्ट्रो-जेनेटिक्स) में गहरा यकीन रखते हैं। लेकिन उनका दावा है कि कुछ दशक पहले जब उन्होंने यह कहा था कि जन्म लेने वाले बच्चे का लिंग निर्धारित किया जा सकता है तब उनका सिद्धांत खारिज कर दिया गया था और मानो जमाना उनका दुश्मन बन गया था।
लेकिन प्रसाद ने तब अपने सिद्धांत को सही साबित करने की ठान ली थी। इसके बाद प्रसाद एक लड़के के पिता बने और अपनी थियरी को सही साबित करने की कोशिश की। लेकिन आलोचकों ने मेरी एक न सुनी। आलोचकों ने तब भी मेरी थियरी को यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह भगवान की देन है। फिर मैंने निश्चय किया कि मैं एक बार फिर लड़के का पिता बनूंगा। और, जब मैं फिर लड़के का पिता बना तो लोग चुप हो गए। उसी वक्त मेरे दिमाग में खयाल आया कि क्यों न किसी मेधावी पुत्र का पिता बना जाए।
हालांकि एस्ट्रोजेनेटिक्स को लेकर बहुत प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। आमतौर पर अनुवांशिकी और ज्योतिष का कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं होता है। यही वजह है कि प्रसाद के दावों को लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। कुछ लोग उनकी इस थियरी से सहमत हैं और कुछ लोग उसे बकवास बता रहे हैं। प्रसाद की इस थियरी को लेकर रहस्य बरकरार है। विज्ञान या बयान?
तुलसी प्रसाद ने कहा कि यह एक विज्ञान है। उन्होंने कहा कि हमारे वैदिक साहित्य में ऐसा जिक्र है। प्रसाद के मुताबिक अगर हम इस सिद्धांत को सही तरीके से लागू करें तो हमें ऐसे ही नतीजे मिलेंगे। उनका कहना है कि मनुष्य का शरीर एक संपूर्ण संस्थान है। प्रकृति ने हमारे शरीर को नेमतें बख्शी हैं। शरीर में जरूरी रसायनों के उत्पादन के लिए ग्रंथियां हैं, जिन्हें अपनी मर्जी के मुताबिक संचालित किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया मुझे और मेरी पत्नी को बच्चे के गर्भ में आने से लेकर जन्म तक खान-पान और सेक्स को लेकर हमारे मूड का ध्यान रखना पड़ा। हालांकि, तथागत के पिता के इस बयान को लेकर बंटी हुई प्रतिक्रिया आ रही हैं।

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