मंगलवार, 25 नवंबर 2014

हिन्दी लघपत्रिकाओं के संपादक प्रभाकर श्रोत्रिय



प्रस्तुति-- गुड्डू यादव 
डॉ॰ प्रभाकर श्रोत्रिय (जन्म १९ दिसम्बर १९३८) हिन्दी साहित्यकार, आलोचक तथा नाटककार हैं। हिंदी आलोचना में प्रभाकर श्रोत्रिय एक महत्वपूर्ण नाम है पर आलोचना से परे भी साहित्य में उनका प्रमुख योगदान रहा है, खासकर नाटकों के क्षेत्र में। उन्होंने कम नाटक लिखे पर जो भी लिखे उसने हिंदी नाटकों को नई दिशा दी। पूर्व में मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के सचिव एवं 'साक्षात्कार' व 'अक्षरा' के संपादक रहे हैं एवं विगत सात वर्षों से भारतीय भाषा परिषद के निदेशक एवं 'वागर्थ' के संपादक पद पर कार्य करने के साथ-साथ वे भारतीय ज्ञानपीठ नई दिल्ली के निदेशक पद पर भी कार्य कर चुके हैं। वे अनेक महत्वपूर्ण संस्थानों के सदस्य हैं।

परिचय

डॉ॰ प्रभाकर श्रोत्रिय का जन्म (मध्यप्रदेश) के जावरा में हुआ। उनका बचपन अभावों से भरा हुआ था। पिता की मृत्यु बचपन में ही हो जाने के कारण इन्हें काफी कष्टों से गुज़रना पड़ा। इनकी आरंभिक शिक्षा संस्कृत हिन्दी पाठशाला से आरंभ हुई। कक्षा छह में इनका दाखिला सरकारी विद्यालय में कराया गया। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से प्राप्त की और बाद में एम.ए. करने के बाद वहीं पर प्राध्यापक लग गए। इसके पश्चात इन्होंने पी.एच.डी. और डी.लिट्. की उपाधि भी वहीं से अर्जित की।
बचपन से ही इन्हें विविध प्रकार के साहित्य को पढ़ने का शौक था। चन्द्रकांता, चन्द्रकांता संतति और भूतनाथ जैसे उपन्यासों को तो इन्होंने अपने स्कूली जीवन में ही पढ़ लिया था। प्रभाकर जी ने सृजनात्मक लेखन का आरम्भ बहुत ही कम उम्र में कर दिया था। जिसका प्रमाण भारत के तत्कालीन गृहमंत्रा श्री कैलाशनाथ काटजू द्वारा इनकी कविताओं को सुनकर दिया जाने वाला 10 रुपये मासिक की छात्रवृत्ति थी।

प्रकाशित कृतियाँ

साहित्य के क्षेत्र में प्रभाकर श्रोत्रिय बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में इन्होंने सफलतापूर्वक लेखन कार्य किया है। आलोचना, निबंध और नाटक के क्षेत्र में इनका योगदान विशेष उल्लेखनीय है।
  • आलोचना- 'सुमनः मनुष्य और स्रष्टा', 'प्रसाद को साहित्यः प्रेमतात्विक दृष्टि', 'कविता की तीसरी आँख', 'संवाद', 'कालयात्री है कविता', 'रचना एक यातना है', 'अतीत के हंसः मैथिलीशरण गुप्त', जयशंकर प्रसाद की प्रासंगिकता'. 'मेघदूतः एक अंतयात्रा, 'शमशेर बहादूर सिंह', 'मैं चलूँ कीर्ति-सी आगे-आगे',
  • निबंध-'हिंदीः दशा और दिशा', 'सौंदर्य का तात्पर्य', 'समय का विवेक', 'समय समाज साहित्य'
  • नाटक- 'इला', 'साँच कहूँ तो. . .', 'फिर से जहाँपनाह'।
  • प्रमुख संपादित पुस्तकें- 'हिंदी कविता की प्रगतिशील भूमिका', 'सूरदासः भक्ति कविता का एक उत्सव प्रेमचंदः आज', 'रामविलास शर्मा- व्यक्ति और कवि', 'धर्मवीर भारतीः व्यक्ति और कवि', 'समय मैं कविता', 'भारतीय श्रेष्ठ एकाकी (दो खंड), कबीर दासः विविध आयाम, इक्कीसवीं शती का भविष्य नाटक 'इला' के मराठी एवं बांग्ला अनुवाद तथा 'कविता की तीसरी आँख' का अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित।
इसके अलावा साहित्यिक जगत उन्हें प्रखर सम्पादक के रूप में भी जानता है। वे ‘वागर्थ’, साक्षात्कार‘ और ‘अक्षरा’ जैसी प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं के लंबे समय तक संपादक रहे हैं। भारतीय ज्ञानपीठ की पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ के वे लंबे समय तक संपादक रहे हैं।

पुरस्कार और सम्मान

  • अखिल भारतीय आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान),
  • आचार्य नंददुलारे वाचपेयी पुरस्कार (मध्य प्रदेश साहित्य परिषद),
  • अखिल भारतीय केडिया पुरस्कार,
  • समय शिखर सम्मान (कान्हा लोकोत्सव, 1991),
  • श्रेष्ठ कला आचार्य (मनुवन, भोपाल, 1989),
  • अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार (बिहार सरकार),
  • अखिल भारतीय श्री शारदा सम्मान (म.प्र. के हि.सा. एवं संस्कृतिन्यास देवरिया) एवं
  • माधव राव सप्रे पत्र संग्रहालय का रामेश्वर गुरु साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार।
  • मित्र मंदिर कोलकाता सम्मान 1998,
  • सारस्वत सम्मान 2002 ।

बाहरी कड़ियाँ

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