शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2015

कामता प्रसाद सिंह कांम






प्रस्तुति- स्वामी शरण




परिचय

जन्म : 1916, भवानीपुर गाँव, औरंगाबाद (बिहार)
भाषा : हिंदीविधाएँ : कहानी, निबंध, व्यंग्य
मुख्य कृतियाँ

मैं छोटा नागपुर में हूँ; घर, गाँव और देहात; घुमक्‍कड़ की डायरी
निधन

1963
विशेष

औरंगाबाद (बिहार) के भवानीपुर गाँव में जन्‍मे प्रसिद्ध गद्य-शिल्‍पी कामता प्रसाद सिंह ‘काम’ ग्रामीण संवेदना के रचनाकार थे। राजनीतिक अभि‍रुचि और उच्‍छल सहृदयता उनके व्‍यक्तित्‍व की मुखर पहचान थी। यह चारित्रिक विशिष्‍टता उनके लेखन और शैली में बड़े सहज रूप में व्‍यक्‍त हुई है। बिहार के शीर्षस्‍थ गद्य शिल्‍पी कामता प्रसाद सिंह की रुचि और सक्रियता राजनीतिक क्षेत्र में भी थी, किंतु समाज-सेवा तथा मनस्‍वी मुद्रा में जीवन यापन करते साहित्‍य रचना उनका नैसर्गिक भाव था। अपनी धरती के प्रति उनका प्रगाढ़ अनुराग था। दक्षिण बिहार के चप्‍पे-चप्‍पे की उन्‍होंने यात्रा की थी। छोटा नागपुर की बहुरंगी जिंदगी, जिंदगी से जुड़े उल्‍लास एवं जटिल समस्‍याओं की उन्‍होंने अपने लेखन में मार्मिक अभिव्‍यक्ति की है। अपने गाँव-घर के लोगों तथा ग्रामीण परिदृश्‍य का बड़े ममत्‍व और सहृदयता के साथ उन्‍होंने मोहक शैली में चित्रण किया है। प्रकृति सर्वेक्षण की उनमें बड़ी जागरूक क्षमता थी और उसे रूपायित करने की सिद्ध शैली उन्‍हें आयत्‍त थी। अपने संसार के सामान्‍य व्‍यवहार में आने वाली वस्‍तुओं को उपजीव्‍य बनाकर उन्‍होंने मार्मिक गद्य-रचना की है। उनकी प्रसिद्ध पुस्‍तकें हैं - ‘मैं छोटा नागपुर में हूँ’, ‘घर, गाँव और देहात’, ‘घुमक्‍कड़ की डायरी।’
आभार : भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...