शनिवार, 4 मार्च 2017

जरा सोचो न / अनामी शरण बबल






जरा सोचों न
कितना अजीब लगेगा
जब
समय के संग उम्र की सीढियों पर
तन मन थक जाएगा
अतीत के तापमान पर
बहुत सारी मोहक बातों -यादों 
पर समय का दीमक चढ़ने लगेगा
अपना मन भी
अतीत में जाने से डरने लगेगा
तब
कितना अजीब लगेगा
जब पास में होंगे
अपने बच्चों के बच्चें
और समय कर देगा बेबस  
अपनी कमान दूसरों को देने के लिए।।


जरा सोचों न
कितना अजीब लगेगा
तब / इन कविताओं को याद करने
या / कभी फुर्सत में चुपके से पढ़ने पर
शब्दों की रासलीला
किसी पागल के खुमार संग
बदला बदला सा भी लगेगा मेरा चेहरा  
मेरा व्यावहार  / मेरी बातें


जरा सोचो न
क्या तुम पढ़ पाओगी / देख सकोगी
हवा में उभरे शब्दों को
हवा में उभरी यादों को
हवा हवा में हवा हो जाती है  / हो जाएंगी
तमाम यादें मोहक क्षण
बात बेबात पर लडना   
लड़ जाना, उलझ जाना
तमाम यादें
एक पल तो आंखें चमक उठेंगी
बेसाख्ता / मन खिल जाएगा
एकाएक / मुस्कान से भर जाएगा तेरा चेहरा
तो
तेरे आस पास में ही बैटे बैठी /  अपने  ही हंसने लगेंगी
देंगी उलाहना प्यार से  
लगता है मम्मी जी को कुछ याद आ गयी है  
पुरानी बातें / मोहक यादें ।
एक समय के बाद
पुरानी बातों / यादो मे खोना भी 
खतरनाक होता है  
गुनाह सा हो जाता है ।।


जरा सोचों न
कोई रहे ना रहे
यादें रहेंगी / तुम रहोगी
हरदम हरपल
अपनों के संग / सपनों के संग ।
कितना अजीब सा लगता है
आज
कल पर / कल की बातों पर   
कल की संभावनाओं/आशंकाओं पर सोचना
उम्रदराज होने की कल्पना करना।। 



जरा सोचों न 
पत्ता नहीं कल कौन रहे न रहे
मगर सुन लो  / हमलोग रहेंगे
यादें ही तो जीवन है / धड़कन हैं 
यही बंधन है मन का स्नेह का अपनापन है।
यादें रहेंगी हमेशा
सूरज चांद सी, परी सी, कली सी।।

 
जरा सोचों न 
उम्र का कोई भी पड़ाव क्यों ना हो
प्यार और सपने कभी नहीं मिटतें
हमेशा रहती है
हरी भरी / तरो ताजा
जीवन में यही खास है
अपना होने का अहसास है
मोहक सपनों का मधुमास है।।

जरा सोचों न
कल कैसा लगेगा
इन फब्तियों के बीच से गुजरते हुए
कैसा लगेगा / जब तन भी दुर्बल - निर्बल हो
मगर साथ में तेज होगा
प्यार का विश्वास का भरोसे का स्नेह का
मन का नयन का
जो बिन पास आए
जीवन भर साथ रहा हरदम हरपल
हर समय 
अपना बनकर ।।।


2
  वो हवा है 


वो बसंती हवा है / नरम नरम

वो धुन है सितार की / कोमल मुलायम तरल सी

वो राग है / झनकार है / मान मनुहार है

मधुर मनभावन

वो आवाज है / प्रेरक, दिलकश उम्मीद की

वो पावन है पवित्र है गंगाजल सी निर्मल है सुकोमल है।

वो जरूरी है धूप सी / सबकी है चांदनी सी रागिनी सी

तरल है सरल है चंचल है हवा सी ।।

सबों के दिल में रहती है / सबों के लिए दुआ करती है

सबों का है उस पर अधिकार / वो सबों की है

सबों को है उससे प्यार है

वो धरती है जमीन है परम उदार है / सब पर उसका उपकार है ।।

वो नरम डाली है / सुबह की लाली है फूलों सी प्यारी है

किसी बच्चे की मुस्कान है / पावन  भावन साज श्रृंगार है

हरियाली की जान है

बचाओं उसको

वो किसी एक की नहीं / उसमें सबों की जान है

वो एक नहीं अनेक है / सबके लिए सबकी दवा है

वो हवा है सबकी दुआ है ।

सबकी लाली है / हितकर- हितकारी है / बहुत बहुत प्यारी है।

समस्त सृष्टि की जान है समें समाहित ।
उसके भीतर स्पंदित  ।।.  

3
ना मैं भुलू ई होली 


होली बहुत बहुत मुबारक हो सखि।

होली बहुत बहुत मुबारक।।



रंगों गुलाल की इस होली में  / सबके तन पर रंगों का मैल

रंगो की रंगोली में तन मन सब मटमैल

पर तूने रंगी मन के रंग से  / निखर गया तन मन अंग प्रत्यंग

ऐसी होली से चूर मैं व्ह्विवल  / लगे रंग मोहि गंगाजल

करके इतौ जतन /  इस किंकर को मगन मदमस्त बनायौ।।

मैं ना भुलू इस होली को / ऐसी होली मोहे खिलायौं।।
मन के सबौ विकार दहे अगन में


तुमको भी बहुत मुबारक होली।

होली बहुत बहुत मुबारक हो सखि।।

तूने रंग दी नेह रंग से तन मन  / निखर संवर गयौ मोर पूरा बदन

धुल ग्यौ तन मन के मैल.

रंगों की ऐसी साबुन कभी देखी नहीं

नहीं रहे मैल जन् जन्म के

अंग अंग में नयी ताजगी नयी सनसनाहट

फूलो के अंगार फूटे, नयी सुबह की खुमार झूमे

तू धड़कन बन मोर  / खुश्बू की ऐसी पावन गंध चारो ओर।।



कभी ना खेली अईसी होली  / रंग गुलाला की रंगोली

मैं मतवाला झूम उठा

हरी भरी  धरती को चूम उठा

तूने दी ऐसी प्रीति मुझे  / जब चाहूं करके बंद नयन
होली को सपनों में भी याद करूं
रंगों के संग केवल, तुझको , तुमको याद करूं
जन्म जन्म तक ना मैं भुलू ई होली
हे प्रभू यही तुमसे मैं फरियाद करूं।।

होली बहुत बहुत मुबारक हो सखि।
होली बहुत बहुत मुबारक।। 

4


पलभर में मानों / अनामी शरण बबल





कितना बदल गया जमाना

धूप हवा पानी  मौसम का मिजाज माहौल / पहले जैसा कोई रहा नहीं

सब बदला है कुछ ना कुछ

कोई नया अवतार लिया है

कोई ले रहा है

तो

कोई धरती के भीतर आकार गढ़ रहा है।

धरती आकाश पाताल जंगल गांव शहर पेड़ फूल पौधे

किसी का रंग रूप तो किसी का मिजाज ,  तो किसी का स्वाद बदला है

पहले जैसा कोमल मासूम ना मिला कोई  ना दिखा 

पहले सा ही प्यारा अपना हमारा कोई / कोई नहीं कोई नहीं

तेरे सिवा तेरी तरह

लत्ता सी फैली मेरे इर्द-गिर्द

जर्द पत्तियों सी ठहरी लिपटी अतीत में







हवा कुछ ऐसी चली / मौसम बदल गया
धूप कुछ ऐसी निकली / बदला धरती का मिजाज 
बारिश कुछ ऐसी हुई / नदी झील सागर तालाब के हो गए कद बौने
धरती क्या डोली / नदी पहाड़ पठार मंदिर मकान सब गिर चले
समय का क्या ताप था ?
पत्ता नहीं कितना बदला / तेरी आंखों के भूगोल से
नजर पड़ी जबसे / मैं भी बदल गया ।
मैं बागी बैरागी बेमोल लापरवाह बेनूर  /  सारी आदतें बदल गयी
मन में था असंतोष/ शिकायतें बदल गयी
मन का ना पूछो हाल / हालत बदल गयी, हालात बदल गए ।
पलभर में मानों
मेरा तो इतिहास बदल गया ।
अतीत चमक उठा / वर्तमान खिल गया
समय के साथ खोया मेरा वजूद मिल गया
अंधेरी रात में / सितारों के संग
चांद सा ही कोई चांद झिलमिल दिख गया, मिल गया ।।.
 
.
  5




मैं तेरा झूठा
ना बोल्या सच कभी
पर कभी कभी लागे मुझे 
झूठ ही बन जाए मानौं सच
दिल की जुबान / दिल की बात /  मन की मुलाकात
तेरी सौगंध खाकर तो कभी ना बोलूं झूठ
ई तू भी जानैं
पर क्या करे / तेरी सौगंध
हर समय तेरी मोहक गंध मुझे सतावैं
चारो तरफ से आवैं
तेरा हाल बता जावैं
मुझै सुजान बना जावैं।।

दूर दूर तक कोई नहीं / कोई नहीं
केवल तन मन की खुश्बू
दिल की आरजू
मोहे सुनाय
कहीं भी रहो
पायल हर बार / बार बार तेरी आहट दे जाए
कोई गीत गुनगुना जाए
मंदिर की घंटियों की झनक
तोर हाल बता जाए।
तेरी आहट से पहले ही / तेरी गंध करीब आ जाए
रोजाना हर पल हर क्षण / बार बार
तेरी गंध / तेरी सौगंध
करीब करीब से आए / याद दिलाए 
रह रहकर/ रह रहकर
हरदम ।।

  6

कहां खो गयी  कहीं दूर जाकर
पास से मेरे अहसास से
न जाने कितने सावन चले गए
मेरे मन कलश में पलाश नहीं आया 
कोई है /मेरे आसपास 
इसका अहसाल नहीं आया / मन में मिठास नहीं आया
गंध भी आती है / तो 
दूर दूर बहुत दूर से 
केवल / कोई प्यास लगे / मन में आस ना लगे
ख्यालों में भी / तेरी सूरत बड़ी उदास उदास लगे
कोई उमंग उत्साह ना लगे 
का बात है गोई ? 
कुछ तो है / जो बूझ नहीं पा रहा मैं
गुड़ की डली सी सोंधापन तो लगे 
मिसरी की चमक सी मिठास भी दिखे
बालों में भी फूलों की खुश्बू दमके 
मगर कहीं भी 
सचमुच कभी भी 
तू ना लगे ना दिखे
पहली सी / पहले सी ही
खिली खिली
किधर खो गयी हो / खुद में खोकर 
नहीं दिखता है/ लगता है  
फूलों को उदास देखकर
मौसम के अनायास बावलेपन से भी 
नहीं लगता कहीं कोई 
रिस रहा है दर्द भीतर भीतर 
बावला सा कोई तड़प रहा है / फूलों के लिए तरस रहा है
कितनी अंधेरी रात है 
घुप्प घना काली लंबी रात।।

 
शुक्ल पक्ष का यह मिजाज / पत्ता नहीं पत्ता नहीं    
खोया गया हो चांद इस तरह मानों
बादलों के संग 
रूठकर सबसे  
तेरे बगैर भी जीना होगा 
तेरे बगैर भी धरती होगी 
जीवन होगा 
और लंबी और लंबी रातें होगी 
किसी को यह  
मंजूर नहीं।
मंजूर नहीं।
सुनो चांद / तेरे बिना कुछ नहीं मंजूर 
और रहोगी कब तक कितनी दूर ??
  
7


(संशोधित)





दिन भर हरदम 
कहीं ऐसा भी होता है

जिधर देखूं तो केवल

तूही तू नजर आए। केवल तू नजर आए ।।



हर तरफ मिले तू खिली हुई फूल सी खिली खिली

फूलों में बाग में फलों में गुलाब में

मंदिर मे मस्जिद में जल प्रसाद में जाम में शराव में

तूही तू नजर आए ।।



बाजार में दुकान में  
हर गली मोड़ चौराहे हर मकान में
कभी आगे तो कभी पीछे कभी कभी तो साथ साथ
चलती हो मेरे संग 
हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती 
सच में जिधर देखू
तो 
तू नजर आए / तूही तू नजर आए ।।।

सुबह की धूप में किसी के संग फूलों पत्तीयों के संग
तालाब झील नदी में खड़ी किसी और रंग रूप में
तू ही तू नजर आए।
शाम कभी दोपहरी में भी 
कभी कहीं किसी मंदिर स्तूप में   
चौपाल में तो कहीं किसी के संग खेत खलिहान में
बाग में कभी कहीं किसी राग लय धुन ताल में
तू ही तू नजर आए / तू ही तू लगे 
केवल तूही तू मोहे दिखे।।

रोजाना / कई कई बार अईसा लगे 
आकर सांकल घनघना देती हो
खिड़की पर कोई गीत गुनगुना देती हो
कभी अपने छज्जे पे आकर मुस्कुरा जाती हो 
घर में भी आकर लहरा जाती हो अपनी महक 
जिसकी गंध से तर ब तर 
मैं मोहित बेसुध
तेरे सिवा 
भूल जाता हूं सब कुछ 
सबको।

बार बार 
एक नहीं कई बार हर तरफ
तूही तू केवल तू नजर आए।।
केवल तू दिखे तू लगे ।।
सच्ची तेरी कसम 

मन खिल खिल जाए 
लगे कोई सपनों में नहीं 
हकीकत में मिल गया है
मिल गया हो।
 मेरे मन में 
धूप हवा पानी मिठास 
बासंती रंग सा खिल गया है।।
हर रंग में केवल तू लगे

हर रंग-रूप में मोहे 
एक प्रकाश दिखे, उजास लगे 
सबसे प्यारी अपनी हसरत भरी अहसास लगे ।
तूही तू लगे तू ही दिखे ।
तू लगे तूही दिखे
दूर दूर तक/  देर तक देर देर तक।.   
8
   मोबाईल

हम सब तेरे प्यार में पागल
ओए मोबाईल डार्लिंग ।
तुम बिन रहा न जाए / विरह सहा न जए 
मन की बात कहा न जाए
तेरे बिन मन उदास / जीवन सूना सूना
पल पल / हरपल तेरी याद सताये।।.

लगे न तेरे बिन मन कहीं
मन मचले मृगनयनी सी / व्याकुल तन, मन आतुर,  
चंचल नयन जग सूना 
बेकार लगे जग बिन तेरे
तू जादूगर या जादूगरनी / मोहित सारा जग दीवाना
तू बेवफा डार्लिंग ।।


पर कैसे कहूं तुम्हें / तू है बेवफा डार्लिंग
तू पास आते ही / तुम्हें करीब पाते ही
अपना लगे/ मन खिलखिल जाए
रेगिस्तानी मन में बहार आ जाए
आते ही हाथ में भर जाए मन
विभोर सा हो जाए तन मन पूरा सुकून से
शांत तृप्त हो चंचल मन नयन.।।

तेरे करीब होने से लगे सारा जहां हमारा
मुठ्ठी में हो मानो जग सारा 
सबकुछ करीब, सब मेरे भीतर अपने पास
खुद भी लगे मानों 
सबके साथ सबके बीच सबसे निकट ।।








केंचुल में यादें/


नहीं नहीं सब कुछ 
सबकुछ उतर जाता है एक समय के बाद
पानी का वेग हो या आंधी तूफान
सागर का सुनामी
लगातार उपर भागता तेज बुखार
आग बरसाता सूरज हो
चांदनी रात की शीतलता
कुछ भी तो नहीं ठहरता
सदा -सदा के लिए 
एक दिन 
केंचुल से भी तो हो जाएगी बाहर सर्पीली यादें
हवा में बेजान खाली केंचुल सी    
यादों पर बेजान बेमानी हो जाएगी।

नहीं उतरेगा मेरा खुमार
दिन रात धरती पहाड़ की तरह
चमकता रहेगा यादों का अमरप्रेम
सूरज चांद की तरह
कोई रहे ना रहे
क्या फर्क पड़ता है  
हवाओं में गूंजती रहेगी प्रेम की खुश्बू
खंडहर घाटियों में महकेगी
प्यार की मोहक गंध
प्यार की अपनी यादों पर
केंचुल नहीं।।
केंचुल में डाल दी है अपनी तमाम यादें
फूलो की तरह पेड़ों की तरह
जबतक रहेगी हवा मे खुश्बू
अपना प्यार भी धूप की तरह
दमकता चमकता महकता रहेगा 
तेरी तरह
मेरे लिए
हमदोनों के लिए
सद सदा सदा सदा सदा 
 सदा के लिए ।  





 

यादों के केंचुल या  केंचुल में यादें /.     अनामी शरण बबल

1

a
मैं किसी की याद के केंचुल  में हूं
अस बस , लस्त पस्त
चूर किसी मोहक सुगंध से
नशा सा है इस केंचुल का
निकल नहीं पा रहा
यादों के रौशन सुरंग से
जाग जाती है यादे मेरे जागने से पहले
और सो नहीं पाती है तमाम यादें
 मेरे सोने के बाद भी
मोहक अहसास के केंचुल से
नहीं चाहता बाहर आना
इन यादों को खोना
जो वरदान सा मिला है
मुझे
अपलक महसूसने को ।

b



केंचुल में यादें

नहीं नहीं सब कुछ 
उतर जाता है एक समय के बाद
पानी का वेग हो या आंधी तूफान
सागर का सुनामी
लगातार उपर भागता तेज बुखार
आग बरसाता सूरज हो
चांदनी रात की शीतलता
कुछ भी तो नहीं ठहरता
सदा -सदा के लिए
केंचुल से भी तो एक दिन 
हो जाएगी बाहर सर्पीली यादें
हवा में बेजान खाली केंचुल भी        
यादों पर बेमानी है।
नहीं उतरेगा मेरा खुमार
दिन रात धरती पहाड़ की तरह
चमकता रहेगा यादों का अमरप्रेम
सूरज चांद की तरह
कोई रहे ना रहे
क्या फर्क पड़ता है  
हवाओं में गूंजती रहेगी प्रेम की खुश्बू
खंडहर घाटियों में महकेगी
प्यार की मोहक गंध
प्यार की अपनी यादों पर
केंचुल नहीं
केंचुल में डाल दी है अपनी तमाम यादें
फूलो की तरह पेड़ों की तरह
जबतक रहेगी हवा मे खुश्बू
अपना प्यार भी धूप की तरह
दमकता चमकता महकता रहेगा 
तेरी तरह
मेरे लिए
हमदोनों के लिए
 सदा सदा सदा सदा सदा 
 सदा के लिए ।      


 2


मेरी यादों में तैरती है हरदम
एक मासूम सी शांत
लड़की
चंचल कभी नहीं देखा
हमेशा अपलक गुम सी निहारते
उदास भी नहीं
पर मुस्कान बिखेरते भी नहीं पाय
हरदम हर समय खुद में ही खोई
एक शांत सी लड़की
मेरी आंखों मे तैरती है
 किसी की तलाश में
या अपनी ही तलाश में
फिर भी यादों में बेचैन रहती है
एक लड़की खुद अपनी तलाश में 

3

एक चेहरे की मोहक याद
जिसको महसूसते ही मन गुलाब सा खिल जाता है
खिल जाता है मन
अनारकली की तरह सलीम को देखकर
मुझे तो उसके चेहरे का भूगोल भी ठीक ठीक याद नहीं
याद है केवल एक सुदंर सी महकती फूल की
जिसकी खुश्बू से ही मन हर भरा सा लगता था
जिसकी चाहत से ही मन भर उठता था मुस्कन से
चिडियों की तान सी जब भी देखा दूर से
नहीं देखा तो कभी
आमने सामने - आस पास
फिर भी मोहक गंध सी लगी
किसी ऐसी सौगंध सी लगी
जिसके पार
पर नहीं था मेरा कोई अधिकार

  4


किसी कसक की तरह हमेशा
वो मन में टिकी रही
ना होकर भी उम्मीद मन में बनी रही
यादों के रंग मलीन होकर भी मन में चहकती रही
कैसा होगी और कहां जानने की आस रही
भूल गए हो शायद दोनों
इसकी भी टीस खड़ी रही
मन के दरवाजें पर एक आस अड़ी रही 
पास पास ना होकर भी
मन में साथ की याद रही।
रहो हमेशा हर दम हर पल खुश महकती खिलखिलाती  
ऐसी ही मन में कुछ फरियाद रही।


5

कोई कैसे अपना सा लगने लगता है
इसकी चाहत भी तब जागी
जब दूर हो गए  मजबूर से हो गए
देखने की तमन्ना भी तब उठी सीने मे
जब देखना भी ना रहा आसान
पाने की ललक भी मुर्छा गयी देखकर दूरी
तन मन रहन सहन की
फिर भी कोई कैसे मांग ले फूल को अपने लिए
जाने बिना
धड़कन की रफ्तार
महक की धार



6

यह कौन सा नाता है
न मन का न नयन का
केवल चाहत है मन का
बिन देखे बिन बोले बिन कहे सुने
कौन गिने इस दुख की पीर
जिसमें 
कुछ नहीं है न टीस न यादों की पीड़ा न विरह का संताप
है केवल मन का मोह मन की ललक
यादों को जिंदा रखने का जतन
यादों में बने रहने का लगन
खुद को खुद से खुद में
खुश रखने का अहसास 


7

किन यादों को याद करे मन
नहीं है कहीं स्पंदन
चाहत का है केवल एक बंधन
यादों के लिए भी तो कुछ चाहिए मीछे पल
केवल चेहरे को याद करके निहाल हो जाना
फिर बेहाल रहना
जाने बगैर कि आंधी किधर है
मन में या धड़कन में


8

तुम्हारे होने भर के ख्याल से ही
मन भर जाता है
खिल जाता है
लगता है मानों
मंदिर की घंटियां बजनेलगी हो
या
कोई नवजात
अपनी मां से लिपटकर ही
पाने लगता है
सबसे सुरक्षित होने का अहसास   
तुम्हारे ख्याल से ही
लगता है अक्सर
उसको कैसा लगता होगा  
क्या मैं भी कहीं हूं
किसी की याद में ?


9

किसी की याद में रहना
या
याद बनकर ही रह जाना
बड़ी बात है।
यादों के भूत बनने से बेहतर है
यादों की ही मोहक स्पंदन से
ताकत देना उर्जा देना
याद में रहकर भी सपना नहीं
अपना होकर भी अपना नहीं
मन से हरदम पास होकर साथ का शिकवा नहीं
बड़ी बात है।


10

कुछ ना होकर भी
हम सबकी चाहत एक हैं
 एक ही साया है दोनों के संग
हर समय
मन में तन मे
एक ही तरंग उमंग
फासला भी अब हार नहीं
जीत सा लगता है
दिल के धड़कन का संगीत सा लगता है
पास ना होकर भी
पास का हर पल
प्यारा दीवना सा लगता है
जेठ का मौसम भी सुहाना लगता है।


11
यह अंधेरे का कोई  
गुमनाम बदनाम सा नाता नहीं
यह तो दिल और मन का बंधन है
मेरी यादें बेरहम कातिल नहीं
नफरतों सा बेदिल नहीं
हमारी यादों में फूलों की महक है, चिडियों की चहक है
 अबोध बच्चे का मां से आलिंगन है
हमारी यादें तो मां के चुबंन सी निर्मल है  
प्यार अपना भी गंगाजल है
तेरे चेहरे पर हरदम
मुस्कान की शर्त है
तभी तुम्हारे होने का अर्थ है
तेरी हर खुशी से प्यार है
वही तेरे जीवन का श्रृंगार है
यादों में बनी रहो, हरदम हरपल
शायद
यह मेरा अधिकार है।

12

करते ही आंखे बंद 
जाग जाते हैं मन के सारे प्रेत
आंखों के सामने सबकुछ घूम रहा होता हैं
सिवाय तुम्हारी सूरत
जिसकी याद में
लीन होने के लिए
 मैं करता हूं 
अपनी आंखे बंद  

13

 यह कैसी नटलीला है प्रभू 
खुली आंख में सूरत नहीं दिखती 
बंद आंख मे भी 
सूरत की याद नहीं आती 
याद करके भी 
 याद नहीं कर पाता
मोहक चेहरा
कि मन को 
शांति मिले
या शांत मन में कोई उपवन खिले
इतना जटिल क्यों है
याद को याद करना
जिसके लिए मन हरदम हरपल 
विचलित 
सा रहता है 
बार बार 
फिर भी याद  है कि आती नहीं 
 और 
मोहक सूरत दिखती नहीं ।





14


तुम्हारे होने भर के
अहसास से
भर जाता है
मेरे मन में
धूप चंदन की महक
खिल जाते हैं मन आंगन उपवन में  फूल

जाड़े की धूप से नहा जाता है पूरा तन मन
नयनों में भर जाती है
तृप्ति का सुख
चेहरे पर बिखर जाती है मुस्कान
रोम रोम होकर तरंगित
मन तन बदन को करता पुलकित
होकर सांसे तेज
देखता आगमन की राह   
बिह्वल हो
मैं भी मोहक अहसास
बनकर देखने लगता हूं
अक्सर
उस अहसास की उर्जा
गंध तरंग को
जिससे मेरा तन मन पूरा बदन  
रोमांचित होकर
खो जाता है मोहक मीठे खवाब में

15

यह  नहीं है 
दीवनापन या पागलपन
पिर भी 
हर तरफ केवल 
तू और तेरा ही चेहरा
स्कूल जाती बच्चियां हो 
या गांव के पनघट पर शोर मचाती 
हंस हंस कर देती उलाहनों की 
मुस्कान में भी तेरा ही चेहरा 
हर चेहरे पर मुस्कान और संतोष है 
मिठास के साथ 

तेरे ही रंग में 
 हर चीज मीठी मादक दिखती है
तेरे ही संग खिलता है सूरज 
और पलकों पर उतरने को चांद बेकरार है
निर्मल पावन मंदिर की घंटियों सी तुम  
मन में गूंजती हो 
याद को मोहक सुहावन बनाने की  मेरी लालसा है 
तुम्हारा सुख निर्मल शांति ही मेरी अभिलाषा है 
मैं तो हवा की तरह हर पल हूं 
यही सुख है 
यादों के बचपन में
यादें भी हो बचपन सी 
कोमल पावन
किसी अबोध बच्चे कीतरह 

  16

1


अनजाना अनदेखा

चेहरा ही दिखाता है

बार बार बार बार बार

कभी मन से नयन से

औरों की भी नजर से

देख ही लिया जाता है

अनदेखी छवि की , कली की

ललक भरी रुमानी रेखा।



यही तो चाहत है

उस मोहक याद की

जिसको 
हर बार नए नए तरह से देखता है मन

कल्पना की गंध में ही दिखता है

हर बार
अनूठापन नयापन

मोहक ख्याल से ही

कोमलता खिल जाती है चेहरे की

 चांद भी शरमाता है

शांत चेहरे की नूर से

दूर होकर भी सिंदूरी चेहरा

हर पल खिला खिला

रहता है

हर क्षण दिल से कुछ मिला होता है

चेहरे की चमक से

चांदनी रात भी

शरमाती है

बिन देखे ही चेहरे की

मिसरी सी मीठी याद सताती है।



2

और 
बढ जाता है मोहक खुमार

देखने के बाद

ख्यालों में खोए खुमार

में ही

मिट जाता है अंतर

देखे और बिन देखे का

जिंदा होता है

केवल

ललक उमंग उत्साह की उन्मादी खुशी ।।

3
मेरी बात  



मेरे सपने

अपाहिज नहीं यह जाना

सालो-सालों साल दर साल के बाद। 

मेरा सपना अधूरा भले ही रहा हो

मगर दिल का धड़कना

सांसो का महकना या फूलों का देखा अनदेखा सपना

अधूरा नहीं था।

तोते की तरह

दिल रटता ही रहा

दिल की बात

कोयल भी चहकी और फूलों की महके

हवाओं ने दिए संकेत रह रहके

दिल की बात दिल जानती है। 
 


प्रेम -1

न जाने

अब तक

कितने/ दिलवर मजनू फरहाद

मर खप गए

(लाखों करोडों)

बिन बताएं ही फूलों को उसकी गंध

चाहत की सौगंध / नहीं कह सके

उनका दिल भी किसी के लिए

धड़कता था।

एक टीस मन ही मन में दफन हो गयी 

फिर भी / करता रहा आहत

तमाम उम्र ।

बिन बोले ही

एक लावा भूचाल सी

मन में ही फूटती रही

टीसती रही

अपाहिज सपनों की पीड़ा 

कब कहां कैसे किस तरह

मलाल के साथ  

मन में ही टिकी रही बनी रही

काश कह पाते / कह पाते कि

दिल में तुम ही तो धड़कती थी

हमारे लिए

दिल 



दिल से दिल में

दिल के लिए

दिल की कसम खाकर

दिल ने

दिल की बात कह ही दी

तू बड़ा

बेदिल है।। 
 b 

हंसकर दिल ने 

दिल में ही 
दिल की कर शिकायत 
दिल के लिए 
कसम खाकर
दिल में कहा  
और तू बडी कातिल है।



 फिर हंसकर
दिल ने दिल से कह डाला
दिल में मत रख बात
तू कह दे तू कह ही दे
दिल से ही दिल मिलते हैं
सपनों के फूल खिलते हैं
दिल में ही तड़प होती है
पर एकटक मौन शांत रहा दिल
तब खिलखिला कर बोली दिल
तू बड़ा बुजदिल है।।


विश्वास
 
अर्थहीन सा लगे जग सारा
जब कोई मुझसे रूठ जाए।
व्यर्थ लगने लगे जग सारा
जब कोई मुझसे ही नजरें चुराए।
बेदम सा मन हो जाए
जब अविश्वास से मन भर जाए किसी का ।
तमाम रिश्तों को
केवल विश्वास ही देता है श्वांस ((ऑक्सीजन)
सफाई जिरह तर्क कुतर्क सवाल जवाब से
होता है विश्वास शर्मसार
जिसको बचाना है
बहुत जरूरी है बचााना  
कल के लिए
प्रेम के लिए
सबके लिए।।


केवल सात

मेरी यादों के रंग हजार
और इंद्रधनुष में केवल सात ?
नयनों के भीतर अश्क की असीम दरिया
और दुनियां में महासागर केवल सात ?
तेरे कंगन चूड़ी बिछुआ पायल बाली के धुन बेशुमार
और संगीत साधना के सूर केवल सात
उसके घरौंदे में अनगिन कक्ष (कमरे)
और रहने को दुनियां में  महादेश केवल सात ।।
अब शिकायत भी करे
तो क्या 
  और
किससे 

 किसके लिए।।।।

इंतजार

रंगीन यादों की मोहक तस्वीरें
देख गगन पर इंद्रधनुष भी शरमाए
तेरे स्वागत में
रोज खड़े होते हैं मेरे संग संग
कोयल मैना गौरेया तोता टिटिहरी की तान तुम्हें पुकारे ।
किधर खामोश हो छिपकर
इनको सताने के लिए ।।




.मैं मदमाता समय बावरा
1



कोई रहे ना रहे  ना भी रहे तो क्या होगा

यादें इस कदर बसी है

अपने मन तन बदन और अपनी हर धड़कन में  
कि अब किसी के होने ना होने पर भी

कोई अंतर नहीं पड़ता

फसलों की कटाई से दिखती है

मगर होती नहीं जमीन बंजर

पतझड़ में ही बसंत खिलता है

जेठ की जितनी हो तपिश

उतनी ही बारिश से मन हरा भरा होता है

ठंड कितनी भी कटीली हो

हाथों की रगड से गरमी आ ही जाती है।

मैं मदमाता समय बावरा

अपने सीने की धड़कन में देखता हूं नब्ज तेरा

हर समय हर दम

समय की बागडोर लेकर

घूमता हूं देखने

तेरी सूरत तेरी हाल तेरी आस प्यास

तेरी खुश्बू चंदन पानी में ही

शुभ छिपा है

मुस्कान की आस छिपी है

मैं मदमाता समय बावरा

छोड़ नहीं सकता अकेले

तुमको तो हंसना ही होगा खिलखिलाना ही पड़ेगा

इसी से

धरती की रास बनेगी आस बनेगी

लोगों में प्यार की प्यास जगेगी।

मैं मदमाता समय बावरा  

कल के लिए बचाना है समय  

 कलवालों के लिए

हरी भरी धरती में

हरियाली को बचाना है तुम्हारी तरह 
तुमको ही तो बचाना है 

तुम ही तो हो जीवन, उमंग रंग, खुश्बू, 
धरा की हरियाली सबकी लाली 

सबकी रंग 

मैं मदमाता समय का मस्त बावरा।। 
मैं मदमाता समय बावरा।।

 3





मैं मदमाता समय बावला
मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी बात सुनो

पहले नहीं था मैं कभी इतना लाचार
मेरी तूती बोलती थी, मै ही करता था हुंकार

मेरे ही इर्द गिर्द घूमती थी दुनिया
और
मैं ही था समय कालबोध का साधन
मेरे ही चक्रव्यूह  में सदियां बीत गयी
केवल सूरज के संग ही होता था जीवन रसमय
बाकी घोर अंधेरे में
जीवन के संग संग
सपने भी रंगहीन होते थे।
रात में केवल मैं होता था
एकदम अकेला
घनघोर सन्नाटे  में सन्नाटों के संग करता था रंगरास लीला
अंधेरे में ही जागती थी एक दुनिया,
जिसका राजा मैं / मेरी थी हुकूमत
मेरा ही साम्राज्य था
मेरे ही दबदबे में पूरी रचना थी सृष्टि होती थी
मैं मदमाता दबंग बादशाह / समय बड़ा बलवान

समय बड़ा बलवान / चारो तरफ केवल मेरी ही जय मेरी ही जय
मेरा ही जय जयकार 
मेरे ही हुंकार पर जागती थी सृष्टि / और नीरवता में खो जाती थी रचना
समय बड़ा बलवान  समय बड़ा बलवान
मैं मदमाता समय दबंग बादशाह / समय बड़ा बलवान

मैं मदमाता समय बावला
मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी बात सुनो
यह कहना सरासर गलत है, गलत है
समय बदला है / समय बदल गया है / बदल रहा है समय
नहीं नहीं नहीं समय नहीं बदला है
समय कभी नहीं बदलता
निष्ठुर समय की केवल एक चाल / दिन हो या रात केवल एक चाल
मैं नहीं बदला
तुमलोग बदल गए / जमाना बदल गया
सदियों से मैं निष्ठुर / मेरी केवल एक चाल 
जमाने की बदल गयी चाल रफ्तार
जिसको प्रकृति करती है इंकार
मैं समय भी करता हूं अस्वीकार
समय नहीं बदला है न बदलेगा
मैं मदमाता समय बावला
मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी तो बात सुनो

ज्ञान विज्ञान अनुसंधान से
तेरी लगन मेहनत जतन से
खुल गए धरती आकाश पाताल के भेद
कोई भी न रहा अब तेरी पकड़ से बाहर 
हर ज्ञात अज्ञात रहस्य पे भी है तेरी नजर तेरी पकड़
मौत से लेकर जीवन से और शरीर पर भी है तेरा ज्ञान
तेरी खोज पर दुनिया करे नाज और मैं भी दंभ करूं
जीवन निर्माण भले हो लंबा / पर संहार पल दो पल में ही होता है
पूरी दुनिया बनी युद्धस्थल /और,
कहीं भी हो कोई धरती आकाश पाताल में
विध्वंस से कोई नहीं बाहर 
मैं मदमाता समय बावला
मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी तो कुछ सुनो




 निहारना

निहारना खुद को खुद में
 कहां इतना आसान?
आईना / कातिल सा बेरहम
केवल सच बोलता है
सौंदर्य की भाषा में खुद को निहारना 
अपने तन की त्रुटियों की तलाश है
आज तो
लोग खुद से भागते हैं खुद को ठगते हैं
खुद को ही अंधेरे में ऱखकर
खुद से झूठ बोलते हैं।
मगर आईने में खुद को तलाशना
अपनी ही एक नयी खोज होती है
और सुदंर
पहले से सुदंर
......या अब तक की सबसे सुदंर ।
औरों से अलग या बेहतर
होना दिखना भी
कोई बच्चों का खेल नहीं
निहारना
सौंदर्य का दिखावा नहीं
केवल सुदंर तन की तलाश नहीं
निहारना तो
मन को भी सुदंर कर देती है
निहारना तो अपनी तलाश का आरंभ है।
और भला
कितने हैं लोग
जो निहारते हुए खुद से
खुद को भी खुद में ही
तलाशते हैं। निहारते हैं।।


एक ही रंग



पत्ता नहीं क्यों

नहीं चढ़ पाया /

रंग किसी का, किसी पर

न तेरे ही रंग से खिल पाया मैं

ना अपना ही रंग दिखता है तुम पर

बेरंग होकर भी /

यह कौन सा रंग है नशा है , साया है, खुमार है

जिसमें सबकुछ दिखता है एक समान एक सा

एक ही तरह की सूरत मूरत

एक ही ध्यान

एक ही रंग रूप में

तेरी साया तेरी काया तेरी माया।।
  



मुबारक हो जन्मदिन







मुबारक हो जन्मदिन

बहुत बहुत मुबारक हो जीवन के सफर में

आए एक नए साल का

एक ठहराव का ही तो नाम है जन्मदिन

जहां पर

समय देता है एक मौका एक दिन का

अपनी पड़ताल का

कैसा रहा साल जो आज बीत गया ?

कैसा होगा साल

जिसका पहिया अब घूमने लगा है।

इस पर ही दो क्षण तय करने का

समय देता है एक मौका एक दिन का



जन्मदिन है ही उत्साह उल्लास का पर्व
जिसमें खोकर ही
नए लक्ष्य होंगे निर्धारित / नए संकल्पों का जन्म होगा 
कुछ तो होगा खास
खुद को पहचानने का
एक अवसर सा होता है यह दिन
अपने आप में खो जाने का

अपने आप को भी
बेहतर रखना, स्वस्थ्य रखना भी
बड़ी सेवा है समय की समाज की
छोटे छोटे संकल्प से ही पूरे होते है बड़े लक्ष्य  

सीमा पर शहीद होना ही केवल देशभक्ति नहीं होती
अपने इर्द गिर्द भी मिलकर या एकल
अपनी बुरी आदत्तों से लडना भी समय की सेवा है
फिर से बहुत बहुत मंगलमय हो यह दिन
फिर अगले साल देंगे हम शुभकामनाएं
आज से ही हो मंथन / यही है आज का बंधन  
मंगलमय हो जन्म से लेकर अबतक के सुनहरे सफर का चंदन
समय देता है एक मौका खुद को जानने का
समय देता है एक मौका एक दिन
बाकी सारे दिन तुम्हारे अपनों के सपनो के
जिंदगी का सफर जारी है
अगले साल फिर
हैप्पी बर्थ डे कहने की तैयारी है, इंतजारी है     
समय देता हैं हमसबों को एक मौका
एक दिन का
हर साल हर साल हर बार ।।
 
 
तुम परी हो इस घर की 



तुम परी हो इस घर की     
तुम गीत, गजल, कविता - शायरी हो
मीठे गानों की बोल धुन संगीत
रसभरी प्रेम की डायरी हो
तुम इस घर की परी हो

चांद तारे भी तेरे पास आए सूरज भी आकर प्यार जताए
बादल झुकझुक कर ले तुम्हें गलबंहिया
चांद तारे सितारें भी आकर तुम्हें
बादलों वाले घर में बुलाएं
तुम परी हो इस घर की     

तुम परी हो इस धरा मन उपवन की
हर मन सुमन धड़कन बचपव की 
तेरी तेज रौशन प्रतिभा से
संसार में एक नयी आकांक्षा की रौशनी है
तुम परी हो इस घर की
   
नहीं रहा अब लोक लुभावन संसार
शेष रही नहीं कथा कहानियों का खुमार
जमाना विज्ञान का जिसे परियों से ज्यादा
रोबोट भाता है
किसी के रहने भर से घर की रौनक नहीं दिखती   
चहकते गीतों से चमकते घर कहां देख पाता विज्ञान
अनुसंधान अनुसंधान में ही खोजते हैं हंसने का राज
परी की मुस्कान भर से दीवारे खिलखिला पड़ती है  
घर का हर कोना
कोना कोना जगमगा उठती है
चांद तारे बादल फूल खुश्बू
नयनों में झिलमिला उठते हैं
सब तेरे से ही मुमकिन  
तेरी मुस्कान हर कोने पर खिली पडी है
खुशिया मानो बिखरी पड़ी है
तुम परी हो इस घर की
तुम परी हो इस घर की ।।    

चांदनी 



नूरानी चांद सा चेहरा,सबों को भाता है
कोई मम्मा कोई चंदा तो कोई मामा बुलाता है।
कोमल शीतल पावन उजास सबों का अपना है
निर्मल आंखों का एक सपना है
सूरज सा तेज अगन तपिश नहीं
बादल सा मनचला  बेताब नहीं
हवाएं मंद मंद सबकी जरूरत
बेताबी बेकाबू रफ्तार नहीं
कोमल शीतल पावन प्रकाश
देखकर बचपन भी हो जाए बावला 


नूरानी चांद सा चेहरा ...............




सबों के बीच सबों का अपना हो जाना ही खास होता है
अपना बनाकर अपनेपन का हरदम उल्लास होता है
लदे हुए फलदार पेड़ ही सबों को बुलाता है


नूरानी चांद सा चेहरा ...............




मन की सुदंरता से बढ़कर तेरा चेहरा
तन मन की खुश्बू से महकता तेरा चेहरा
चांद भी देख शरमा जाए तेरा चेहरा
खुद रौनक है बच्चों सा घर में तेरा चेहरा 


नूरानी चांद सा चेहरा ...............




नहीं कोई दीवानापन न कोई पागलपन
केवल मुखमंडल का है सोंधा सुहानापन
आंख से आंखे मिली तो केवल अपनापन
मनमोहक सा नयनों का एक मृदृल बंधन 
नूरानी चांद सा चेहरा ...............



आभासआभास 



मन है बड़ा खाली खाली

दिल उदास सा लगता है

पूरे तन मन बदन में

मीठे मीठे दर्द का अहसास / आभास लगता है।





सबकुछ तो है पहले जैसा ही

नहीं बदला है कुछ भी
फिर यह कैसा सूनापन
सबकुछ
खाली खाली सा
उत्साह नहीं लगता है।
चमक दमक भी है चारो तरफ
पर कहीं उल्लास नहीं लगता है ।।

सूरज चंदा तारे
भी नहीं लग रहे है लुभावन
मानो  
सब कुछ ले गया हो कोई संग अपने ।
मोहक मौन खुश्बू सा चेहरा  
हंसी ठिठोली
ख्याल से कभी बाहर नहीं
फिर भी यह सूनापन

शाम उदास तो
सुबह में कोई तरंग उमंग नहीं / हवाओं में सुंगध नहीं 
चिडियों की तान में भी उल्लास नहीं ।.
सबकुछ / कुछ अलग अलग सा अलग
मन  निराश सा लगता है

रोज सांझ दर्द उभर जाए
यही बेला
सूना आकाश और दूर दूर तक
किसी के नहीं होने का
केवल आभास 









मेरे मन मंदिर में







मेरे मन मंदिर में
महक रही है एक मोहक गंध
सच तेरी  सौगंध
मैं मृगतृष्णा सा बेकल
हर सांस में तेरी आस लिए
मन मंदिर में रास ...

दीपक सी है लौ
सुदंर सुहावन पावन उजास
आकुल व्याकुल मन में मन की है प्यास
मन मंदिर में रास ,,,,

घंटियों का मीठा मीठा सोंधा संगीत
चाहत की नफासत की शरारत की रीत
बांध सा लेता है मन को यही प्रीत
स्वप्नलोक के मेले की मिठास
मनमंदिर में रास ......






कह नहीं सकता


कह नहीं सकता, कैसा लगता है
मन की हर कली है खिली खिली
मीठी सी यादों में मन खोया रहता है  ,,,,


पागलपन ना दीवानापन फिर भी
गंध की तड़प है देखने की ललक है
चारो तरफ ,,चारो तरफ फूलों की महक है
स्वप्नलोक में मन डूबा रहता है ....
नाता न रिश्ता फिर भी कोई बंधन है
हर सांस मे मानों उसका ही स्पंदन हो
चाहत का खाली खारा सा स्मृतिवन है
मोह पाश यह कैसा अजूबा लगता है ...

कह नहीं सकता, .......................





अपना लगता है


कुछ भी ना होकर
सबकुछ अपना लगता है
सच में सपना लगता है .......

कब कहां कैसे मन में खिला फूल
धूप हवा पानी में एकला वनफूल
मन में रोमांचित है
आज भी एक उदास गंध
जिसे कहना पड़ता है ....,,,,,


कह नहीं सकता कैसे कह दूं कि दूर है
 नदी के किनारों सी मजबूर है
मन पास है इसका अहसास है  
अबूझ सपना होकर भी अपना लगता है.........




कभी नहीं सोचा था


कभी नहीं सोचा था
इस कदर मिल जाएंगे कभी
उस पड़ाव पर
जहां रिश्तों की गांठ खुलने लगती है
चाहत उखड़ने लगती है
लगाव ढीला और मन नयन गीला हो जाता है

हमने तो सुनी तक नहीं है
एक दूसरे की आवाज
हुए नहीं कभी आमने सामने
आंखे भी कभी नहीं टकरायी
फिर भी
आंखों में बसी सूरत नहीं बिसरी

रही ठहरी सी, मन में ही मन की सारी बातें

या कभी
इस कदर इस तरह मिलेंगे

मन का नाता है मन का मिलन है
तन से ज्यादा मोह का जीवन का आकर्षण है
कभी नहीं सोचा था
ऐसा भी होगा
समय रहते दिल ने मान लिया
चाहत की यादों ने स्वीकार किया
केवल मौन चाहत सा प्यार किया

कभी नहीं सोचा था
कभी नहीं और कभी नहीं कि
एक साथ हंसने का खिलखिलाने का
बिना थमें मुस्कुराने का

कभी नहीं सोचा था
सच में कभी नहीं
और कभी नहीं ।





जब मन ना करे



और जब मन ना करे
बातें खत्म करने की किताबें बंद करने की


हरपल हर दम लगे
मानो कोई संदेश हो
हर पल मन करे बावला इंतजार
और मन ना करे कभी दूर जाने का  ,

कोई गीत गाने का
हर पल मन करे
खिलखिलाने का , गुनगुनाने का
और मन ना करे कभी दूर जाने का



97
जरा सोचों न 



जरा सोचों न
कितना अजीब लगेगा
जब
समय के संग उम्र की सीढियों पर
तन मन थक जाएगा
अतीत के तापमान पर
बहुत सारी मोहक बातों -यादों 
पर समय का दीमक चढ़ने लगेगा
अपना मन भी
अतीत में जाने से डरने लगेगा
तब
कितना अजीब लगेगा
जब पास में होंगे
अपने बच्चों के बच्चें
और समय कर देगा बेबस / अपनी कमान दूसरों को देने के लिए ।

जरा सोचों न
कितना अजीब लगेगा
तब / इन कविताओं को याद करने
या / कभी फुर्सत में चुपके से पढ़ने पर
शब्दों की रासलीला
किसी पागल का खुमार संग
बदला बदला सा भी लगेगा मेरा चेहरा / मेरा व्यावहार  / मेरी बातें

जरा सोचो न
क्या तुम पढ़ पाओगी / देख सकोगी
हवा में उभरे शब्दों को
हवा में उभरी यादों को
हवा हवा में हवा हो जाती है  / हो जाएंगी
तमाम यादें मोहक क्षण
बात बेबात पर लडना /  लड़ जाना
तमाम यादें
एक पल तो आंखें चमक उठेंगी
बेसाख्ता / मन खिल जाएगा
एकाएक / मुस्कान से भर जाएगा तेरा चेहरा
तो
तेरे आस पास में बैटे बैठी /  अपने  ही हंसने लगेंगी
देंगी उलाहना प्यार से  
लगता है मम्मी जी को कुछ याद आ गयी है /  कुछ पुरानी बातें - मोहक यादें ।
एक समय के बाद
पुरानी बातों - यादो मे खोना भी खतरनाक हो जाता है  
गुनाह हो जाता है

कोई रहे ना रहे
यादें रहेंगी / तुम रहोगी
हरदम हरपल
अपनों के संग / सपनों के संग ।
कितना अजीब सा लगता है
आज
कल पर कल की बातों पर /  संभावनाओं - आशंकाओं के हाल पर सोचना ।
पत्ता नहीं कल कौन रहे न रहे
मगर सुन लो  / हमलोग रहेंगे
यादें ही तो जीवन है / यही बंधन है मन का स्नेह का अपनापन है।
यादें रहेंगी हमेशा
सूरज चांद सी, परी सी, कली सी

उम्र का कोई भी पड़ाव क्यों ना हो
प्यार और सपने कभी नहीं मिटतें
हमेशा रहती है
हरी भरी / तरो ताजा
जीवन में यही खास है
अपना होने का अहसास है
मोहक सपनों का मधुमास है।

जरा सोचों न
कल कैसा लगेगा
न फब्तियों के बीच से गुजरते हुए
कैसा लगेगा / जब तन दुर्बल - निर्बल हो
मगर साथ में तेज होगा
प्यार का विश्वास का भरोसे का स्नेह का
मन का नयन का
जो बिन पास आए
जीवन भर साथ रहा हरदम हरपल
हर समय अपना बनकर हरदम
 


 



(इस क्रम कविता क्रम  में भी 3-4 कविताएं है, जिसे बाद में )




   



(फिलहाल समाप्त)


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साहिर लुधियानवी ,जावेद अख्तर और 200 रूपये

 एक दौर था.. जब जावेद अख़्तर के दिन मुश्किल में गुज़र रहे थे ।  ऐसे में उन्होंने साहिर से मदद लेने का फैसला किया। फोन किया और वक़्त लेकर उनसे...